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यह बात प्रसिद्ध है कि मैं एक आतंककारी रहा हूं परंतु मैं आतंककारी नहीं हूं। मैं एक क्रांतिकारी हूं जिसके कुछ निश्चित विचार और निश्चित आदर्श हैं और जिसके सामने एक लंबा प्रोग्राम है। मुझे यह दोष दिया जाएगा, जैसा कि लोग रामप्रसाद बिस्मिल को भी देते थे कि फांसी की काल कोठारी में पड़े रहने से मेरे विचारों में भी कोई परिवर्तन उग गया है, परंतु ऐसी बात नहीं। मेरे विचार अब भी वही हैं, मेरे हृदय में अब भी उतना ही और वैसा ही उत्साह और वही लक्ष्य है जो जेल से बाहर था, पर मेरा यह दृढ़-विश्वास है कि हम बम से कोई लाभ प्राप्त नहीं कर सकते। यह बात हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के इतिहास से भी आसानी से मालूम पड़ती है। बम फेंकना न सिर्फ व्यर्थ है, अपितु बहुत बार हानिकारक भी है। उसकी आवश्यकता किन्हीं विशेष परिस्थितियों में ही पड़ती है, हमारा मुख्य लक्ष्य मजदूर और किसानों का संगठन होना चाहिए। (hi) |