Mention868229
Download triplesrdf:type | qkg:Mention |
so:description | ;ईश्वर/भगवान पर उद्धरण: (hi) |
so:description | ;अहिंसा पर उद्धरण: (hi) |
so:description | ;आदर्श पर उद्धरण: (hi) |
so:text | पतितों को ईश्वर के दर्शन उपलब्ध हों, क्योंकि ईश्वर पतित –पावन जो है। यही तो हमारे शास्त्रों का सार है। भगवद – दर्शन करने की अछूतों की माँग जिस व्यक्ति को बहुत – बड़ी दिखाई देती है, वास्तव में वह व्यक्ति स्वयं अछूत है और पतित भी, भले ही उसे चारों वेद कंठस्थ क्यों न हों। (hi) |
so:description | ;अहंकार पर उद्धरण: (hi) |
so:description | ;अस्पृश्यता पर उद्धरण: (hi) |
so:isPartOf | https://hi.wikiquote.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95_%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%B0 |
so:description | ;अन्याय पर उद्धरण: (hi) |
so:description | ;इतिहास पर उद्धरण: (hi) |
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Triples where Mention868229 is the object (without rdf:type)
qkg:Quotation822707 | qkg:hasMention |
Subject | Property |
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